Pandupol Alwar: जानिए पांडुपोल मंदिर से जुडी भीम की कहानी

pandupol hanuman ji mandir
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आज हम चलते है सरिस्का टाइगर रिज़र्व – अलवर, और हम लोग यहाँ दर्शन करेंगे Pandupol (बाबा पांडुपोल मंदिर) के।

बाबा पांडुपोल मंदिर (Pandupol Mandir)

Pandupol

यह मंदिर (बाबा पांडुपोल मंदिर) बाबा बजरंगबलि का है। यहाँ बजरंगबली बाबा लेटे हुए है। बाबा Pandupol का मंदिर सरिस्का टाइगर रिज़र्व में है जो की राजस्थान के अलवर जिले में स्तिथ है। अलवर से करीब 50 किलोमीटर की दुरी पर एक नेशनल पार्क है, जिसे सरिस्का टाइगर रिज़र्व कहते है।

यह जंगल बहुत ही विशाल है और अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह जगह बहुत ही सुन्दर है। जब हम अलवर से सरिस्का पहुंचते है, तो आपको वहां जंगल के अंदर जाने के लिए जंगल सफारी करनी होती है।

क्युकि यह मंदिर जंगल के अंदर main Gate से 21 किलोमीटर की दुरी पर है। अगर आप मंगल या शनिवार को जाना चाहते है, तो आप अपनी खुद की कार से भी जा सकते है। परन्तु आपको कार का टिकट लेना होगा।

बाबा पांडुपोल मंदिर का इतिहास (Pandupol Mandir History)

बाबा पांडुपोल का इतिहास आज से 5000 वर्ष पूर्व में महाभारत से है। इस जंगल सरिस्का में जहां यह मंदिर है।  बाबा बजरंग बलि ने महाबली भीम को इसी जगह पांडुपोल में दर्शन दिए थे।

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यह Pandupol वह स्थान है, जहां भगवान हनुमान जी ने भीम के घमंड पर अंकुश लगाया था। Pandupol Hanuman ji Mandir तीर्थयात्रियों के साथ-साथ प्रकृति और वन्यजीव प्रेमियों के लिए अलवर में घूमने के लिए बेहतरीन जगहों में से एक है।

कैसे भीम ने निकाला पहाड़ से पानी

ऐसा मानना है, जब पांचो पांडव अपनी पांचाली के साथ 12 वर्ष का वनवास काट रहे थे, उस समय कुछ दिनों के लिए पांडव इस वन में रुके थे। एक दिन द्रोपदी को बहुत जोरो की प्यास लगी और कही भी पानी का अता-पता नहीं था, तब भीम ने यहाँ पहाड़ पर अपनी गदा से प्रहार किया और वहाँ से पानी की धारा फुट पड़ी।

कैसे भीम को हो गया घमंड

इस बात पर सबने भीम की बड़ी प्रसंसा की और इससे भीम को अपने बाहुबल पर घमंड हो गया। चूँकि हनुमान जी, हमेशा से धर्म के साथ थे, और वे पांडवो कि चिंता करते थे, उनको भीम के इस अभिमान का अनुमान हो गया और उन्होंने एक योजना बनाकर भीम के घमंड को तोड़ने के लिए उनके रस्ते में बूढ़े वानर का रूप बना कर लेट गए।

जब पांडवों ने देखा कि उनके रास्ते पर तो एक बूढ़ा वानर आराम कर रहा है, तो उन्होंने उससे रास्ता छोड़ने का आग्रह किया और कहीं और आराम करने के लिए कहा। पांडवों की बातें सुनकर हनुमानजी (जो वहां एक बूढ़े वानर के रूप में थे) ने कहा कि वह वृद्धावस्था के कारण हिल-डुल नहीं सकते, इसलिए पांडवों को किसी अन्य रास्ते से जाना चाहिए।

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कैसे हनुमान जी ने किया भीम का घमंड चूर चूर

अहंकार में चूर भीम को हनुमानजी की यह बात अच्छी नहीं लगी और वे उस बूढ़े वानर पर बहुत गुस्सा हुए, भीम ने कहा – अरे वानर या तो अपनी पूंछ यहाँ से हटा ले, वरना वह उसे उठा कर कही और फेंक देंगे। भीम की बात सुनकर हनुमानजी ने विनम्रतापूर्वक कहा कि वे ही उनकी पूंछ हटा दे और चले जाएं, तब भीम ने अपनी पूरी ताकत लगा दी परन्तु वह उस बूढ़े वानर की पूंछ को टस से मस नहीं कर पाया।

वे अपने अहंकार पर पश्चाताप करने लगे और उन्हें अनुमान हुआ के यह बूढ़ा वानर कोई साधारण वानर नहीं है और उसने तभी हनुमान जी से माफ़ी मांगी और कहा हे वानर राज आप कौन है, कृपया करके अपना परिचय दें। भीम के माफी मांगने पर हनुमानजी अपने असली रूप में आ गये और बोले- तुम वीर ही नहीं महान भी हो, लेकिन इस प्रकार का अहंकार वीरों को शोभा नहीं देता।

हनुमानजी ने उनको अज्ञातवास को पूरा होने का वरदान दिया और वहां से चले गए। लेकिन जिस स्थान पर वे लेटे, वह स्थान आज भी उनके प्रसिद्ध पांडुपोल मंदिर के रूप में पूजा जाता है।

बाबा पांडुपोल मंदिर सरिस्का जंगल के आस-पास

जंगल में आपको हिरन और अन्य वन्य प्राणी ऐसे ही घूमते हुए मिल जायेगे।

जंगल बहुत ही सुंदर है, क्युकी यह अरावली की ऊँची ऊँची पहाड़ियों से चारो और से घिरा हुआ है। पहाड़ी के आस पास  सरिस्का के जंगलों में कई सुन्दर जगह है, जहाँ आप घूमने का आनंद ले सकते है जैसे कि:-

  • बाबा भरतरी का मंदिर
  • सिल्लीसेठ झील
  • नीलकंठ महादेव का मंदिर
  • भानगढ़ का किला
  • नारायणी माता मंदिर
  • देव नारायण मंदिर
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बाबा पांडुपोल मंदिर का मेला (Pandupol Mela)

बाबा पांडुपोल मंदिर का मेला राजस्थान अलवर में एक बहुत ही लोकप्रिय मेला है, यह मेला हर साल भादौ माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भरता है।

इस मेले में बाबा को मानने वाले श्रद्धालु बहुत बड़ी संख्या में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, और मध्यप्रदेश तथा अन्य जगहों से पहुंचते है।

बाबा पांडुपोल मंदिर का समय

पांडुपोल मंदिर सभी पर्यटकों तथा श्रद्धालुओं लिए हर रोज सुबह 5.00 बजे से शाम 06.00 बजे तक खुला रहता है, परन्तु यह मंदिर घने जंगलो में है और यहाँ सरिस्का टाइगर रिज़र्व की परमिशन लेकर जाना पड़ता है तो इसका टाइम लगभग 8:०० बजे से शाम 5:०० बजे तक ही मान कर चलें और आपको इस जंगल में जाने के लिए 8 बजे गेट खुलेंगे और शाम 7 बजे से पहले, जंगल से बहार निकलना होता है।

बाबा पांडुपोल मंदिर का प्रवेश शुल्क (Pandupol Entry Fees)

यहाँ के स्थानीय निवासी जो जंगल के आस पास रहते है, इसलिए उनको जंगल में मंदिर तक जाने के लिए कोई भी परमिसन नहीं लेनी होती, और वे लोग मंदिर आसानी से जा सकते है, और चूँकि यह मंदिर मंगल और शनिवार को सब लोगो के लिए खुला रहता है तो हम सब लोगो को सिर्फ Vehicle fee जमा करनी होती है।

जो सरिस्का टाइगर रिज़र्व के Main गेट जमा होती है : जैसे कार की fee लगभग 350 रुपए, बाकि दिनों में इस मंदिर तक पहुंचने के लिए जंगल सफारी की सहायता लेनी होगी और उसका शुल्क एक गाड़ी का लगभग 3500 रुपए है।

सरिस्का टाइगर रिज़र्व और Pandupol जाने का तरीका

  • सरिस्का टाइगर रिज़र्व दिल्ली एयरपोर्ट से लगभग 190 किलोमीटर और जयपुर एयरपोर्ट से 125 किलोमीटर है, नजदीकी हवाई अड्डा दिल्ली और जयपुर में है।
  • सरिस्का टाइगर रिज़र्व के नजदीक रेलवे स्टेशन अलवर जंक्शन है।
  • अगर आप बाबा Pandupol मंदिर जाना चाहते है तो आपको अलवर से टैक्सी या फिर बस सर्विस ले सकते है।

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