दोस्तों जैसे आपको पता ही है की भारतवर्ष की भूमि को चमत्कारों की धरती माना जाता हैं। यहां ना जाने कितनी बार भक्त और भगवान के बीच आस्था और विश्वास का अनूठा संबंध देखने को मिलता है। ऐसा ही एक स्थान है Sheetla Mata Mandir Gurgaon में, जहां भक्त दूर-दूर से अपना माथा टेकने आते हैं।
शीतला माता मंदिर (Sheetla Mata Mandir)
शीतला माता मंदिर (Sheetla Mata) का एक ऐसा ही मंदिर हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित है, माता का यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है। यहां के लोगों का मानना है कि करीब 250 साल पहले शीतला माता ने गुणगांव के एक व्यक्ति जिसका नाम सिंघा जाट था, को सपने में दर्शन दिया और उसको अपना मंदिर बनाने के लिए कहा था।
लोगो का मानना है कि माता यहां साक्षात रहती हैं। और इस मंदिर में माता के दर्शन मात्र से चेचक, खसरा और नेत्र रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं।
Sheetla Mata Mandir Gurgaon के एक तालाब के पास स्थित है और इस मंदिर में श्रावण (जुलाई-अगस्त) महीने को छोड़कर पूरे साल तीर्थयात्रियों की भीड़ जमा होती है। चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) के दौरान, इस मंदिर का माहौल कुंभ-मेला जैसा लगता है।
बहुत से लोग यहाँ अपने बच्चों के मुंडन (पहला बाल काटने का समारोह) के लिए आते है और बच्चो के कटे हुए बालों को देवी की वेदी पर चढ़ाते है। इसके अलावा बहुत से नव विवाहित जोड़े भी सुखी वैवाहिक जीवन के लिए देवी माता का आशीर्वाद लेने आते हैं।
शीतला माता मंदिर का इतिहास
आज से करीब 300 साल पहले आज के गुरुग्राम मैं दो भाई रहते थे। उनका नाम पदारथ और सिंघा था।
दोनों भाई बड़े जागीदार थे और उनके पास हजारो एकड़ जमीन थी। सिंघा एक बहुत ही बड़े भक्ति भाव वाले शांत से स्वाभाव के व्यक्ति थे, और अपना ज्यादातर समय भजन गाने मैं ही निकालते थे।
सिंघा की भक्ति से प्रस्सन होकर माता शीतला देवी ने उनको दर्शन दिए और वरदान दिया की उनके सिर्फ छूने मात्र से ही लोगो के रोग दूर हो जायेंगे। जब माता ने उनको वरदान दिया तो भक्त सिंघा ने अपना घर – बार सब छोड़ दिया और एक तालाब के किनारे ध्यान में रहने लगे।
उन्होंने वहा एक छोटा सा मंदिर भी बनवाया जहाँ माता की पूजा सुरु हुई। एक कथा के अनुसार भक्त सिंघा को तालाब से देवी माता की मूर्ति मिली जिसे उसे मंदिर में स्थापित कर दिया गया और आज उसी मूर्ति की माता शीतला के रूप में पूजा होती है।
शीतला माता मंदिर की एक और कथा
गुरुग्राम के पास एक जगह है फरुख नगर, वहां एक गरीब बढ़ई रहता था। उसकी एक बेटी थी जो बहुत ही सुन्दर थी। उसकी सुंदरता की बाते सुनकर एक मुग़ल शासक ने उससे विवाह करने की इच्छा प्रकट की। इस बात से बढ़ई बहुत ही दुखी हुआ क्युकी वह किसी दूसरे धर्म में अपनी बेटी नहीं देना चाहता था, और उसने भरतपुर के राजा सूरजमल से विनती की परन्तु राजा सूरजमल ने इस मामले में हाथ डालने से मना कर दिया क्योंकि ये छेत्र उनके अधिकार से बाहर था।
किन्तु जब यह बात राजा सूरजमल के बेटे भरत को पता चली तो राजकुमार ने अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और दिल्ली पर आक्रमण करने के निकल गया जब वह गुड़गांव से होकर गुजरा तब उसने माता शीतला देवी से मन्नत मांगी कि यदि वह इस युद्ध में विजयी होकर लौटा तो माता का एक सुन्दर मंदिर का निर्माण करेगा, और राजकुमार राजा जवाहर सिंह इस युद्ध में विजयी हुए और फिर उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया।
शीतला माता कौन हैं?
शीतला माता का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार ऋष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने शीतला माता को सृष्टि को आरोग्य रखने की जिम्मेदारी दी थी।
द्वापर युग में एक ऋषि हुए जिनका नाम था ऋषि शरद्वान, उनके दो बच्चे थे जिनका नाम था “कृपी” और “कृपाचार्य”। कृपी का विवाह गुरु द्रोणाचार्य से हुआ था और गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को प्रशिक्षण गुड़गांव में एक तालाब के पास रहते हुए दी थी।
चूँकि माता कृपी गुरु माता थी और बहुत ही तपस्वनी भी थी वे सबके लिए माता के सामान आदर योग्य थी। यही माता कृपी आज माता शीतला देवी है। एक बार राजा पुरनजेत के इकलौते बेटे को लकवे के कारण माता के पास लाया गया लगभग 15-16 दिनों तक बच्चे को धीरे-धीरे तालाब की मिट्टी में लपेटा गया और माता शीतला के प्रभाव और ध्यान से बच्चा ठीक हो गया।
तब से माता कृपी, माता शीतला देवी कहलाने लगी। लोग माता शीतला को, “मसानी माता” और “ललिता माता” के नाम से भी जानते है।
शीतला माता मंदिर की दूरी
Sheetla Mata Mandir Gurgaon बस स्टैंड से करीब 3 किलोमीटर दूर है। लोग बड़ी आसानी से ऑटो लेकर मंदिर तक जा सकते है।
शीतला माता मंदिर दिल्ली एयरपोर्ट से करीब 17 किलोमीटर है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी ले सकते है जिसका किराया लगभग 450 से 600 टैक्सी लेती है।
शीतला माता मंदिर हुडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन से लगभग 6.6 किमी दूर है, यहां से आप ऑटो और टैक्सी दोंनो सुविधा ले सकते हैं।