फ़िरोज़पुर झिरका हरियाणा के नूह मेवात जिले में एक छोटा सा क़स्बा है। यहाँ एक बहुत ही प्राचीन शिव मंदिर जो की Jhirkeshwar Mahadev के नाम से प्रसिद्द है। यह शिवमंदिर चारो तरफ से अरावली की पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है। इसके चारो और आपको ऊँचे-ऊँचे पहाड़ और जंगल मिलेगा। इन पहाड़ियों से बरसात के दिनों में प्राकर्तिक झरना भी देखने को मिलता है।
फिरोजपुर झिरका शिव मंदिर (Jhirkeshwar Mahadev)
अरावली की पहाड़ियों की गोद में यह मंदिर बहुत ही विशाल और सुंदर है। मंदिर के प्रांगड़ में एक विशाल नंदी जी भी है, जिनका मुख महादेव मंदिर कि तरफ है , एक कुआ भी है जिसका पानी निकलने के लिए नल लगे हुए है और पानी बहुत ही मीठा है, मंदिर में बहुत से बन्दर घूमते है इसलिए आपको अपना ध्यान रखना होगा।
Jhirkeshwar Mahadev Temple की देख रेख एक विकास समिति जिसके अध्यक्ष श्री अनिल गोयल है करती है, इस समिति ने यहाँ ठहरने के लिए श्रद्धालुओं के लिए धर्मशालाएं भी बनवायी हैं। पुरे साल भर इस धार्मिक हिन्दू शिव मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
लोगो का मानना है कि शिव रात्रि पर भगवन महादेव खुद किसी न किसी रूप इस मंदिर में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। इस मंदिर में हनुमान जी का भी मंदिर है, इनके सामने एक कदम का पेड़ है, जिस पर लोग धागा बांधते है और मन्नत मांगते है। मन्नत पूरी होने पर अपना धागा वापस खोलते है और मंदिर में भंडारा और कीर्तन करते है।
Jhirkeshwar Mahadev का इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के शिवलिंग को पांडवो ने अपने 12 साल के वनवास के दौरान मंत्रो द्वारा प्रकट किया था। यहाँ एक साथ 5 से 6 शिवलिंग है, और सब प्राकर्तिक है, इस मंदिर के महंत मोनी बाबा के नाम से प्रशिद्ध है, जिन्होंने 12 साल तक इस मंदिर में मौन रहकर तपस्या की थी।
बात है करीब सन् 1846 की, एक तत्कालीन तहसीलदार जिनका नाम था जीवन लाल शर्मा। एक दिन उनको एक सपना दिखा की अरावली में एक पांडवो द्वारा स्थापित प्राकर्तिक शिवलिंग है जिसकी पूजा होनी चाहिए।
इस बात को लेकर जीवन लाल शर्मा ने उस प्राकर्तिक शिव लिंग की खोजबीन सुरु की और उसे खोज निकला। इसके बाद इस मंदिर में पूरी विधि से पूजा अर्चना सुरु हो गयी। और शिव भक्त दूर-दूर से आना शुरू हो गए।
Jhirkeshwar Mahadev मंदिर का मेला
Firozpur Jhirka Shiv Mandir मैं साल मैं 2 बार शिवरात्रि पर मेला लगता है। श्रद्धालु शिवरात्रि पर इस मंदिर में नीलकंठ, गौमुख व हरिद्वार से पवित्र कांवड़ चढ़ाते है, तथा मेले का आयोजन करते है।
इस मंदिर में इसके अलावा क्षेत्र की नवविवाहित महिलाओ द्वारा पुत्र प्राप्ति के लिए शिव लिंग पर दोघड़ चढ़ाने की भी प्रथा है ।
फिरोजपुर झिरका शिव मंदिर की दुरी
यह मंदिर दिल्ली से करीब 110 किलोमीटर है ।
गुरुग्राम से लगभग 70 किलोमीटर है ।
धरुहेरा से लगभग 60 किलोमीटर है।
तिजारा से लगभग 40 किलोमीटर है ।