आज हम बात कर रहे है भारत के दूसरे सबसे बड़े मंदिर के बारे में , यह मंदिर दिल्ली के महरोली में माता कात्यानी का मंदिर है जिसे हम लोग Chhatarpur mandir के नाम से भी जानते है। इस मंदिर में विभिन्न देवताओं की भव्य प्रतिमाओं के साथ कई छोटे और बड़े मंदिर भी हैं।
माता कात्यानी का छतरपुर मंदिर (Chhatarpur mandir)
दक्षिण दिल्ली के ऐतिहासिक महरौली क्षेत्र के खूबसूरत परिवेश के बीच स्थित, इस मंदिर की स्थापना 1974 में संत श्री नागपाल बाबा ने की थी। छतरपुर मंदिर की पहचान इसकी उत्कृष्ट वास्तुकला है जिसमे संगमरमर के शानदार उपयोग और जटिल नक्काशीदार जाली की डिजाइन है। साथ ही, यह मंदिर दक्षिणी दिल्ली के विरासत स्थलों में भी जाना जाता है।
छतरपुर मंदिर की विशाल संरचना (Chhatarpur mandir’s structure)
जब हम Chhatarpur मंदिर के परिसर में प्रवेश करते है, तो सामने मुख्य हॉल के बाहर देवी कात्यायनी का मंदिर है। इसके अलावा यहाँ नौ देवी-देवताओं के लिए एक कमरा भी है जहां देवी माँ की दो दिव्य पेंटिंग भी हैं।
माता का शयनकक्ष
मंदिर परिसर में आगे बढ़ने पर एक बैठक है और उसके बगल में देवी का एक रानी आकार का शयनकक्ष है जिसमें एक चांदी का बिस्तर, ड्रेसिंग टेबल, आभूषण, सौंदर्य प्रसाधन, एक तलवार और अन्य चीजें हैं।
मन्नत वाला पेड़
इसके अलावा, Chhatarpur mandir के प्रांगण में एक पवित्र पीपल का पेड़ है जहाँ लोग इच्छा पूर्ति के लिए धागे बाँधते हैं। इस मंदिर परिसर से सटा हुआ एक विशाल तहखाना भी है जहाँ भक्तों और तीर्थयात्रियों को स्वादिष्ट भोजन खिलाया जाता है।
छतरपुर मंदिर का इतिहास (Chhatarpur mandir history)
हालाँकि छतरपुर मंदिर के साथ कोई लंबा इतिहास नहीं जुड़ा है, लेकिन इस मंदिर का आकर्षण बेजोड़ है, खासकर नवरात्र के त्योहार के दौरान।
बाबा संत नागपाल
लोगो के अनुसार, भारत के दक्षिण में कर्नाटक में एक बच्चे का जन्म हुआ। वह बच्चा बहुत ही कम उम्र में अनाथ हो गया। इस बच्चे को अपनी माँ की बहुत याद आती थी, फिर किसी ने इस बच्चे को बताया की जन्म देने के अलावा भी एक माँ है जो सबकी माँ है और और वह हम सबकी रक्षा करती है अगर वह माता की शरण में जायेगा तो माता उसके साथ हमेशा रहेगी और उसकी रक्षा करेगी।
इस बात से प्रभावित वह बच्चा आध्यात्म से जुड़ गया और अपने आध्यात्मिक गुरु जनो के संरक्षण में वह बच्चा बड़ा हुआ और शिक्षित हुआ, वही बच्चा शक्ति पंथ में दीक्षित किया गया और दुनिया उन्हें बाबा संत नागपाल जी के नाम से जानती है।
मंदिर का निर्माण (Chhatarpur mandir’s construction)
छतरपुर मंदिर उनके सपनों की परिणति था और देवी के आशीर्वाद से, छतरपुर मंदिर का निर्माण कार्य 1974 में शुरू हुआ और 1998 में अपनी अंतिम सांस लेने से पहले, उन्होंने दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर परिसर बनाया।
आज अक्षरधाम मंदिर बनने के बाद भी इस मंदिर का परिसर दुनिया का दूसरा बड़ा मंदिर परिसर है।
मंदिर का परिसर (Chattarpur mandir complex)
यह मंदिर कुल मिलाकर 70 एकड़ के परिसर में है। हिंदू धर्म के विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित लगभग 20 प्रमुख और छोटे मंदिर इस परिसर में स्थित हैं। जिसमे राम दरबार से लेकर भगवान शिव तक, माता लक्ष्मी से लेकर राधा कृष्ण तक सब शामिल है। और यहां से गुजरने वाले सभी लोगों को आशीर्वाद देने के लिए हनुमान जी की करीब 100 फीट ऊंची मूर्ति भी है।
संग्रहालय (Archive)
वह स्थान जहां बाबा का निजी आवास था और जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी, उस स्थान को उनकी महान आत्मा की श्रद्धांजलि के रूप में एक संग्रहालय में बदल दिया गया है।
छतरपुर मंदिर टाइमिंग (Chhatarpur mandir timing)
- अन्य दिन- प्रातः 6:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक
- सुबह की आरती- सुबह 6:30 बजे
- शाम की आरती- शाम 7:00 बजे
घूमने का सबसे अच्छा समय
Chhatarpur mandir की यात्रा वर्ष के किसी भी समय की जा सकती है। हिंदू त्योहारों दशहरा, महाशिवरात्रि और जन्माष्टमी के दौरान मंदिर जाने पर विचार करें क्योंकि इन त्योहारों के दौरान विशेष पूजा और भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं।
छतरपुर मंदिर कैसे पहुँचे (How to reach Chhatarpur mandir)
छतरपुर मंदिर (Chattarpur Temple) तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को छतरपुर मेट्रो स्टेशन (chhatarpur mandir metro station) पर उतरना होगा जो येलो लाइन पर है।
निकटवर्ती पर्यटक आकर्षण
आशीर्वाद लेने और Chhatarpur mandir की खोज के बाद, पर्यटक अन्य लोकप्रिय आकर्षणों पर जाकर दिल्ली की अपनी यात्रा का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
- कुतुब मीनार
- पांच इंद्रियों का बगीचा
- जफर महल
- जहाज़ महल
- महरौली पुरातत्व स्थल