राजस्थान में अनेकों मंदिर और धार्मिक स्थल हैं लेकिन एक मंदिर ऐसा भी हैं, जहां लोग पुरे देश से यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। ये प्रसिद्द मंदिर बाबा मोहन राम का हैं और कई लोगों का ऐसा कहना है की यहाँ पर आने से उनके सारे दुःख-दर्द ठीक हो गए हैं। Baba Mohan Ram का मंदिर भिवाड़ी जो कि राजस्थान के अलवर जिले में हरियाणा बॉर्डर पर धारूहेड़ा के पास है। अगर आप दिल्ली से है, तो आपको दिल्ली सराय काले खां से बालाजी जाने वाली या अलवर जाने वाली सीधी बस भी मिल जाएगी।
जय बाबा मोहन राम (Jai Baba Mohan Ram)
दोस्तों आप जब कभी भी राजस्थान में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए जायेंगे तो आपको भिवाड़ी में 3 जगहों पर मंदिर मिलेंगे लेकिन सबसे ज्यादा, लोग Baba Mohan Ram mandir पर जाते हैं। तीनो मंदिरों के नाम निम्नलिखित हैं:
- गांव मिलकपुर का मंदिर
- गांव आलमपुर का मंदिर
- काली खोली का मंदिर (Kali Kholi Mandir )
गांव मिलकपुर का मंदिर
यहाँ आपको मंदिर मैं बाबा के दर्शन होंगे यह जगह बाबा की गद्दी के लिए प्रशिद्ध है। यह मंदिर बहुत ही सुंदर है और करीब 10 एकड़ में फैला हुआ है। यहाँ बाबा कोरा और बाबा नेतराम जी की तपो भूमि था समाधी स्थल भी है। यहाँ बाबा कोरा का दूना 24 घंटे चलता रहता है। Baba Mohan Ram के वचन अनुसार सभी भक्तो को सबसे पहले इसी मंदिर में दरसन करने चाहिए।
गांव आलमपुर का मंदिर
यह मंदिर गुर्जर समाज ने बनवाया है, और यह बाबा हरिनाथ की तपोभूमि है, यहाँ बाबा हरिनाथ की समाधी भी है, जहां उनके चरण पादुका है और अखंड ज्योति है।
वैसे तो ये मंदिर बाबा हरिनाथ की समाधि स्थल के लिए बनाया गया था परन्तु यहाँ सभी देवीदेवता विराजमान है, जैसे :-
- बजरंगबली जी
- भोले बाबा
- बाबा गुरु गोरखनाथ
- माता रानी
- बाबा मोहनराम
- राधा कृष्णा आदि
आपको यहाँ बहुत से सुन्दर झांकी भी मिलेगी जो आपका मन को मोह लेगी, मंदिर के अंदर ही धर्मशाला है, जहाँ बहुत से भक्त और पुजारी रहते है।
बाबा मोहन राम का मंदिर (Baba Mohan Ram Mandir)
काली खोली मंदिर बस स्टैंड से करीब 7 किलोमीटर कि दुरी पर है जहा आप किसी भी ऑटो से पहुंच सकते हो। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ Baba Mohan Ram की अखंड ज्योति जलती रहती है।
यहाँ भक्त लोग ज्योति में घी चढ़ाते है और आरती लेते है। आरती के दर्शन के बाद लोग पहाड़ी के ऊपर भी जाते है, जहाँ उनको Baba Mohan Ram के घोड़े के खुर के निसानो के भी दर्शन हो जायेगे। लोग यहाँ खुर में पैसे डालते है और मन्नत मांग कर निकलते है जो बहुत कि मुश्किल काम है। क्युकी ये खुर बहुत ही गहरे है।
परन्तु सब लोग अपना भाग्य आजमाते है। वही पर एक ऊँचे स्थान पर बाबा की गुफा है। जहाँ बाबा ने तप किया था। वहाँ जाना आज कल मुमकिन नहीं है क्योकि गुफा बहुत ऊँचे पहाड़ पर है और रास्ता नहीं है।
बाबा मोहन राम मंदिर की परिक्रमा मार्ग
मंदिर के चारो तरफ एक परिक्रमा मार्ग है। सभी श्राद्धालु लोग अपनी श्रद्धा अनुसार मंदिर की परिक्रमा करते है, और बाबा मोहनराम का भजन गाते है।
बाबा मोहन राम का मेला (Baba Mohan Ram Fair)
बाबा मोहनराम के मेले में लोग दूर दूर से पैदल चल कर आते है,और बाबा का जागरण करते है। कुछ लोग DJ भी लेकर चलते है,और बाबा कि धूम धाम से भजन बजाते है, बाबा का मेला साल में २ बार होली और रक्षाबंधन के पास बड़ी दूज पर भरता है। इसके अलावा हर महीने की दूज पर बाबा का मेला भरता है।
बाबा मोहन राम के चमत्कार
बाबा मोह नराम के बहुत से चमत्कार होते रहे है। आप लोग खुद किसी न किसी भक्त से मंदिर में मिल जाओगे जो बाबा के चमत्कारों का साक्षी होगा।
पूर्व में कुछ बड़े भक्त जो भिवाड़ी मिलकपुर से हुए है।
- ब्राह्मण श्रीमान नंदू जी
- श्री नेतराम भक्त जी
- शिरोमणि भक्त बाबा कोरा जी
जैसा कि आप जानते है कि बाबा मोहन राम की कई अलौकिक घटनाएं हैं। आइए आपको बताते हैं बाबा के खोली प्रकर्म के बारे में। जब बाबा मोहन राम ने नंदू ब्राह्मण को दर्शन दिए तो उन्होंने कहा था कि जब तक कोई मेरे भक्त नंदू मिलकपुर के मंदिर में नहीं आएगा, तब तक मेरा काम अधूरा माना जाएगा।
यही कारण है कि सबसे पहले हम मिलकपुर धाम पहुंचेंगे। फिर वहां से हम खोली तक चलेंगे और वहां जाने के बाद हम पहाड़ों की उस गुफा में जाएंगे जहां बाबा तप करते थे।
इसके बाद बाबा के जोहड़ पहुचंगे, जहां बाबा ने झाड़ियां लगाई थीं। यहाँ बाबा के घोड़े के खुर जमीन में गड़ गए थे । जिन्हें बाबा के घोड़े के पैर के नाम से जाना जाता है। वहां जाकर नीचे नीले घोड़े की परिक्रमा करने के बाद आपको मिलकपुर लौटना है और फिर घर वापस जा सकते है।
शिरोमणि भक्त बाबा कोरा जी
शिरोमणि भक्त बाबा कोरा का जन्म 1867 में राजस्थान के अलवर क्षेत्र की तिजारा तहसील के मिलकपुर कस्बे में लालू भक्त के घर हुआ था। उनके दादा हरनारायण भक्त जी थे और उनके पिता स्वरूप भक्त जी थे। उनकी माँ का नाम मोरो था। वह पूरे समय बाबा मोहनराम की भक्ति में लगे रहते थे।
उन पर बाबा जी की असीम महर हुई। और तो और, उन पर भी बाबा (महार के रूप में) आने लगे। उनके मुंह से जो कुछ निकला वह 100% सही होता था। वे दूर दूर से आने वाले व्यक्तियों की समस्याओं को दूर करने लगे । बाबा कोरा के अनेक चमत्कार इस प्रकार सामने आते हैं –
चमत्कार की पहली कहानी
एक बार एक महिला अपने जीवनसाथी के साथ खोली बाबा मोहनराम के दर्शन के लिए गई। जब वह खोली के रास्ते पर जा रही थी तभी एक बदमाश ने उसके गले से चेन लूट ली। जिससे वह महिला बहुत दुखी हुई। इस पर वह रोते हुए कोरा बाबा के पास गई और सारी बात बताती है।
तो कोरा भक्त जी उससे कहते हैं। कि तुम आराम करो, वह चोर खुद यहाँ आ जायेगा, तुम यहीं रहो और तो और बाबा का ऐसा चमत्कार हुआ कि चोर अँधा हो जाता है। और भटकते हुए बाबा के सामने आ खड़ा होता है और कहता है कि मैंने किसी की चेन लूट ली है, इसे ले लो। मैं अब अँधा हो गया हूं. तभी कोरा बाबा उस महिला से कहते है की जा तेरा अपराधी आ गया है, फिर महिला उसकी चेन ले लेती है। तभी वह गुंडा कोरा भक्त जी के चरणों में गिर जाता है।
और रोते हुए माफ़ी मांगता है, बाबा मुझसे गलती हो गई, कृपया मुझे माफ कर दीजिए। और, बाबा कोरा से प्रार्थना करता है तब बाबा ने उस पर अनुकम्पा की और, बाबा की कृपा से, उस अपराधी की आँखों मैं प्रकाश लौट आया और वह मोहनराम और कोरा का भक्त बन गया और शिष्य बनकर सेवा में लग गया।
चमत्कार की दूसरी कहानी
एक बार काकोड़ी कस्बे में रहने वाले पंडित सत्य प्रकाश काली खोली घूमने गए, और उसने सवा रूपये का प्रसाद लिया और बाबा के मंदिर काली खोली गया। वहां जाकर उसने देखा कि वहां सिर्फ ज्योत जल रही थी, तो उन्होंने सोचा, यहां तो सिर्फ जोत है यहाँ प्रसाद चढ़ाने से क्या फायदा, इस प्रसाद को तो में अपने बच्चों के लिए ले जाऊंगा। फिर वह मिलकपुर के मंदिर गया और कोरा भक्त जी की चौपड़ पर आकर बैठ गया।
उस समय कोरा भक्त जी को बाबा की महर हुई कि एक भक्त चौपड़ पर बैठा हुआ है, मंदिर से एक आदमी चौपाल पर आया और बोला एक पंडित जी काकोड़ी से आये है उनको बाबा ने अंदर बुलाया है जब सत्य प्रकाश जी बाबा कोरा के सामने जाते है। तो बाबा कोरा ने पूछा क्यों सत्य प्रकाश प्रसाद क्यों नहीं चढ़ाया ? तो सत्य प्रकाश जी ने बताया वह तो केवल ज्योत ही थी, इससे बेहतर तो मैं अपने बच्चों का के लिए रख लेता हूँ, मुझे तो बाबा का अहसास ही नहीं हुआ, तो कोरा भक्त जी ने उससे पूछा बता कैसे मानोगे, तो सत्य प्रकाश जी कहते हैं।
यदि भगत जी की यह महर मुझ पर होती है, तो मैं मान जाऊंगा, अन्यथा यहां कुछ भी नहीं है। तो कोरा भक्त जी कहते हैं कि 40 दिन तक व्रत करो, तुम समझ जाओगे। सत्य प्रकाश जी बात मान लेते है और व्रत शुरू कर देते है अब इन पर भी बाबा की महर से, 21वें दिन उन्हें वही महर मिल जाती है जो कोरा भक्त जी पर हुआ करती थी।
भगत सत्य प्रकाश जी दोबारा काली खोली मंदिर जाते है और बाबा का जागरण और भंडारा करवाते है, तथा मोहन बाबा और कोरा भक्त जी का गुनगान करते है।
ऐसे बहुत से चमत्कार बाबा कोरा ने किए। बाबा कोरा 143 साल की उम्र में आँखों से अंधे हो गए थे। पर फिर भी वो अपने भक्तो को सिर्फ स्पर्श मात्र से पहचान जाते थे। वो 150 वर्ष की उम्र में 21 फरवरी 2017 को आपने बैटे जयचन्द भक्त जी को अपनी गददी सौप कर हमे छोडकर सदैव के लिए Baba Mohan Ram में समा गए।