Kalka ji mandir: जाने माँ काली ने रक्तबीज को यहाँ कैसे मारा

kalka ji mandir
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जय माता दी दोस्तों ! आज हम बात करेंगे माता काली के शक्ति पीठ दिल्ली के Kalka ji mandir के बारे में। दिल्ली का कालकाजी मंदिर एक हिंदू मंदिर है, जो की हिंदू देवी माता काली को समर्पित है और यह एक मनोकामना सिद्ध पीठ भी हैं।

कालकाजी मंदिर (Kalka ji mandir)

कालकाजी मंदिर भारत के दिल्ली के दक्षिणी भाग में कालकाजी इलाके में स्थित है। इसका नाम मंदिर के नाम पर पड़ा है और यह नेहरू प्लेस व्यापार केंद्र के सामने स्थित है।

कालकाजी मंदिर

आम धारणा यह है कि यहां देवी कालका की छवि स्वयं प्रकट हुई है, और यह मंदिर सत्य युग का है जब देवी कालिका ने अवतार लिया था और अन्य विशाल राक्षसों के साथ राक्षस रक्तबीज का अंत किया था।

Kalka ji mandir दिल्ली के सबसे व्यस्त हिंदू मंदिरों में से एक है। कालकाजी मंदिर में माता जगत जननी माँ आदि शक्ति, माता काली के रूप में मंदिर में विराजमान है।

एक मनोकामना सिद्ध पीठ (Kalka ji mandir)

कालका जी मंदिर को जयंती पीठ या मनोकामना सिद्ध पीठ के रूप में भी जाना जाता है। मनोकामना शब्द का अर्थ है इच्छा, सिद्ध का अर्थ है- सिद्धि और पीठ का अर्थ है- मंदिर। इसलिए यह कहा जाता है कि देवी काली उन भक्तों की इच्छाओं को पूरा करती हैं जो सच्चे दिल और सच्चे मन से यहां प्रार्थना करने आते हैं।

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इतना ही नहीं, कालकाजी मंदिर (Kalka ji temple) का इतिहास सत्य युग से जुड़ा है, और माना जाता है कि यह भारत के सबसे पुराने माँ काली मंदिरों में से एक है। यह तथ्य इसे दिल्ली के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक बनाता है। पूरे वर्ष, आप विशेष रूप से शनिवार को भक्तों की एक बड़ी भीड़ देख सकते हैं।

नवरात्रि का त्यौहार भी भक्तों की एक महत्वपूर्ण संख्या का प्रतीक है जो दूर-दूर से तीर्थयात्रा करने के लिए यहां आते हैं। इस दौरान मंदिर में एक बड़े मेले का भी आयोजन किया जाता है जिसमें भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा, मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते पर, आपको कई विक्रेता प्रसाद (पवित्र प्रसाद), धार्मिक वस्तुएं और यहां तक कि मिठाइयां भी बेचते हुए मिल जाएंगे।

कालकाजी मंदिर (Kalka ji temple) के बाहर का हलचल भरा दृश्य इतना अलौकिक है कि मंदिर की गली से ही आपको अपने आप ही आध्यात्मिकता का एहसास हो जाएगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार कालकाजी मंदिर में देवी काली की छवि स्वयंभू है, और इस प्रकार, मंदिर को दिल्ली में अत्यधिक पूजनीय मंदिरों में से एक माना जाता है। इसके अलावा, मंदिर में विवाह और बाल चढ़ाने जैसी विभिन्न धार्मिक गतिविधियाँ की जाती हैं।

कालकाजी मंदिर की विशाल संरचना (Structure of Kalka ji temple)

आधुनिक मंदिर एक 12-तरफा निर्माण है जिसमें काले प्यूमिस पत्थरों और संगमरमर से बना एक सरल डिजाइन है। इसके अलावा, मंदिर के निर्माण के आसपास कई धर्मशालाएं भी हैं। ईंट और प्लास्टर की चिनाई वाला यह मंदिर एक पिरामिडनुमा मीनार से घिरा हुआ है।

12-तरफा केंद्रीय कक्ष संगमरमर से बना है और इसके प्रत्येक तरफ एक द्वार है। इसके अलावा, यह बरामदे से भी घिरा हुआ है जो कक्ष को चारों ओर से घेरता है।

कालकाजी मंदिर का इतिहास (Kalka ji mandir history in hindi)

कालकाजी मंदिर माता काली को समर्पित भारत के सबसे प्राचीन हिन्दू मदिर है, इस मंदिर (Kalka ji temple) का प्राचीन हिस्से का निर्माण  1764 ईस्वी में मराठाओं ने किया था और फिर बाद में 1816 ईस्वी में राजा केदार नाथ ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया था

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वर्तमान में बीसवीं शताब्दी में इस मंदिर के लिए यहाँ दिल्ली में रहने वाले हिन्दू धर्म के अनुयायियों और व्यापारियों ने यहां चारों ओर अनेक मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया।

Kalka ji mandir का निर्माण यहां पर रहने वाले ब्राह्मणों और बाबाओं की भूमि पर किया गया है, जो बाद में इस मंदिर के पुजारी बने और यहां पूजा-पाठ का काम करने लगे। आज के समय में यह मंदिर  दिल्ली में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।

पांडवो द्वारा माता की पूजा

मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर 5000 साल से भी ज्यादा पुराना है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर जहां (Kalka ji temple) मंदिर स्थित है, भगवान श्री कृष्ण ने पाडवो के साथ, कुरुक्षेत्र का युद्ध शुरू होने से पहले यहाँ माता आदि शक्ति की आराधना की थी और इसी स्थान पर बाद में बाबा बालक नाथ जी ने भी यही माता की आराधना की और उनसे साक्षात्कार किया।

कालका माता की कथा

पुराने समय की बात है कि जब राक्षसो का आतंक बढ़ गया और उनको रोकने वाला कोई नहीं था तब देवता मदद के लिए भगवान ब्रह्मा के पास पहुंचे लेकिन उन्होंने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और माता देवी आदि शक्ति की शरण में जाने के लिए कहा, देवता के प्रार्थना पर माता आदि शक्ति ने कौशकी देवी को प्रकट किया।

जिन्होंने राक्षसों का अंत करना शुरू किया परन्तु एक राक्षस जिसका नाम था रक्त बीज उसको समाप्त नहीं कर पायी क्युकी जब भी उसका रक्त जमीन पर गिरता उससे अनेको राक्षस जन्म ले लेते थे।

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राक्षस रक्त बीज का किया अंत

यह सब देखकर, देवी पार्वती को कौशकी की चिंता हुई और फिर उसके बाद माता पार्वती ने अपनी भृकुटी से महाकाली को प्रकट किया। फिर माता काली ने तांडव किया और राक्षसों का वध किया और जैसे-जैसे वो राक्षसों का गाला काट रही थी। वे उनके रक्त को भी भूमि पर गिरने से पहले ही पी जाती थी।

अंततः माता काली ने राक्षसों पर विजय प्राप्त की। महाकाली का यह रूप देखकर देवता भी भयभीत हो गए थे और फिर देवताओं ने महादेव से महाकाली को रोकने के लिए स्तुति की।

माता काली यानि आदि शक्ति ने वचन दिया जो भी भक्त  इस स्थान पर श्रृद्धाभाव से पूजा करेगा, माता उसकी मनोकामना पूर्ण करेगी।

कालकाजी मंदिर खुलने का समय (Kalka mandir delhi timings)

श्री कालकाजी मंदिर पूरे दिन सुबह 4:00 बजे से रात 11:30 बजे तक खुला रहता है। इसके अलावा, मंदिर में अलग-अलग समय पर कई आरती और गतिविधियां भी की जाती हैं। आरती का विस्तृत समय इस प्रकार है:

सुबह:-

गणेश वंदना: सुबह 5:00 बजे

देवता का पवित्र स्नान: प्रातः 5:30 बजे से प्रातः 6:30 बजे तक (इस समय मंदिर बंद रहता है)

प्रातःकालीन आरती : प्रातः 6:30 बजे से प्रातः 7:00 बजे तक

शाम:-

गणेश वंदना: शाम 7:00 बजे
पवित्र स्नान: शाम 7:30 बजे से रात 8:30 बजे तक
संध्या आरती: रात्रि 8:30 बजे से 9:00 बजे तक

घूमने का सबसे अच्छा समय

वर्ष के दौरान किसी भी समय कालकाजी मंदिर का दौरा किया जा सकता है। हालाँकि, श्री कालकाजी मंदिर की यात्रा के लिए नवरात्र के उत्सव के मौसम को सबसे अच्छा समय माना जाता है। क्योंकि इस दौरान Kalka ji mandir में बड़ी संख्या में भक्त आते हैं और मेले का आयोजन भी होता है। इसी तरह, हर शनिवार को मंदिर में तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ भी उमड़ती है।

कालकाजी मंदिर कैसे पहुँचे (How to reach Kalka ji mandir)

कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन

Kalka ji mandir तक सार्वजनिक परिवहन द्वारा भी पहुँचा जा सकता है। कालका जी मंदिर जाने के लिए आप दिल्ली मेट्रो का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। Kalka ji mandir nearest metro station का नाम स्वयं कालकाजी मंदिर (Kalkaji Mandir) हैं। यह नेहरू प्लेस बस टर्मिनल और ओखला रेलवे स्टेशन के पास है।

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