नीम करोली बाबा को हनुमान जी का अवतार माना जाता है। वह हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे। बाबा के भक्त ने केवल भारत में थे, बल्कि देश-विदेश में भी है। उनके इतने प्रभाव का मुख्य कारण था उनकी सिद्धियाँ, जिसका इस्तेमाल उन्होंने लोक-कल्याण में लगाया। उन्होंने कई ऐसे चमत्कार किये, जिसे करने की कल्पना करना आज के दौर के इंसानों के लिए संभव नहीं हैं। इस लेख में जानेंगे के नीम करोली बाबा के चमत्कार क्या है।
पानी को घी में बदलने का चमत्कार
एक बार कैंची धाम पर भंडारा चल रहा था, तो अचानक से घी खत्म हो गया। लोग परेशान हो रहे थे, कि अब क्या करें। जब बाबा को यह बात पता चली, तो उन्होंने उन्हें पास ही स्थित शिप्रा नदी से घी के कनस्तर में पाने भरकर लाने को कहा। लोगों को समझ नहीं आ रहा था को बाबा ऐसा क्यों कह रहे हैं और इसका घी से क्या सम्बन्ध है लेकिन उन्होंने वही किया, जो बाबा ने कहा कि वह कड़ाही में डालने को कहा उन्होंने जैसे ही उसे कड़ाही में डाला, वह पानी घी में बदल गाया। सब बाबा का यह चमत्कार देखकर हैरान रह गए।
कुआँ के पानी का चमत्कार
एक बार बाबा अपने जन्म स्थल फर्रुखाबाद गए थे। वहां एक कुआँ हुआ करता था। जिसका पानी बहुत खारा था और आसपास के लोगों को बहुत असुविधा होती थी। लोग नीम करोली बाबा के पास परेशानी लेकर पहुंचे। बाबा ने खारे जल से भरे उस कुएं के पानी को पीने योग्य बनाया दिया था।
ट्रेन का चमत्कार
एक बार बाबा बिना टिकट के फर्स्ट क्लास ट्रेन में सफर कर रहे थे। टिकट चेकर ने बाबा को ट्रेन से नीचे उतार दिया। उस स्टेशन का नाम नीम करोली है। बाबा ट्रेन से से उतरने के बाद बाबा नीम करोली ट्रेन से कुछ दूर जाकर जमीन पर बैठ गए। अधिकारी ने ट्रेन को आगे बढ़ने का इशारा किया, तो ट्रेन एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी। बहुत समय बाद इसका कोई हल नहीं निकला और सब परेशान हो गए। जब ट्रेन के मजिस्ट्रेट को इस घटना का ज्ञान हुआ, तो उसने बाबा से माफ़ी मांगी और ट्रेन में बैठने को कहा। बाबा ट्रेन में जाकर बैठे और कुछ देर बाद ट्रेन चलने लगी। तब उनका नाम नीम करोली बाबा हो गया।
बारिश रोकने का चमत्कार
नीम करोली बाबा का यह चटकार तो बेहद अद्भुत था। हनुमानगढ़ी के मन्दिर का निर्माण कार्य चल रहा था और तभी तेज बारिश होने लगी। इससे मंदिर का काम रुक गया। बाबा चाहते थे कि इस काम में कोई बाधा न आए। नीम करोली बाबा का यह चटकार तो बेहद अद्भुत था। हनुमानगढ़ी के मन्दिर का निर्माण कार्य चल रहा था और तभी तेज बारिश होने लगी। इससे मंदिर का काम रुक गया। उसके बाद बारिश रुक गई। बाबा के दर्शन करने सभी भक्त कैंची धाम पहुंचे। पूजा के समय वह माचिस भूल आए, तो बाबा ने बाती को हाथ लगाया और बाती जलने लगी। कहते हैं कि बाबा के एक भक्त शिव जी को बहुत पूजते थे। तो, बाबा ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अपने सीने पर महादेव का रूप दिखाया था।
बाबा के आशीर्वाद से पलटी स्टीव जॉब्स की किस्मत
एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स की किस्मत भी बाबा के आशीर्वाद से ही पलटी है। स्टीव जॉब्स का कारोबार ख़त्म हो गया था। जिसके कारण वह निराश थे। तब किसी ने बाबा नीम करौली महाराज के बारे में उन्हें बताया, जिसके बाद वह बाबा नीम करौली की शरण में आए। वहां से उनकी किस्मत पलटी। जब वह बाबा के दर्शन करने आए उस समय बाबा ब्रह्मलीन हो चुके थे। तब स्टीव जॉब्स ने यहां रह कर साधना की और बाबा का आशीर्वाद पाया। कहा जाता है कि बाबा को खाने में सेब पसंद था, इसलिए स्टीव जॉब्स ने अपने ब्रांड का नाम एप्पल रखा।
अंगूर रस का चमत्कार
नीम करोली बाबा झांसी में चंद्र शेखर पांडे के घर पहुंचे और पूछा कि तुम्हारी पत्नी कैसी है? पांडे बाबा को नहीं पहचानते थे तो पूछा कि आप कौन हैं। बाबा ने इस बात पर उतर दिया कि में बाबा नीम करोली हूँ। तब पांडे ने कहा कि उसकी पत्नी अंदर मृत है। नीम करोली बाबा ने कहा, तुम मुझे दिखाओ। इस पांडे बाबा को भीतर ले गया। बाबा ने उसके शव को देखकर कहा कि यह मरी नहीं है जीवित है। बाबा ने उनसे अंगूर मांगे। उन्हें एक कटोरा और एक चम्मच ले आओ। बाबा ने अंगूरों को हाथ में दबाकर थोड़ा सा अंगूर का रस निकाला और उस रस को उसके मुंह में डाल दिया। इसके चंद्र शेखर की पत्नी की नाड़ी धड़कने लगी और कुछ देर बाद उसने आंखे खोल दी। बाबा ने उसे अंगूर और दूध खिलाओ ठीक हो जाएगी। इसके बाद बाबा चले गए। पांडे की पत्नी की तबीयत ठीक होने लगी और बिना किसी उपचार के वह फिर से स्वस्थ हो गईं।
भोजन कराने वाले को किया जीवित
महाराजजी को पास के एक गांव में जाने की आदत थी। एक बार नीम करोली बाबा अपने एक भक्त के घर आए थे, जहां वह अक्सर भोजन किया करते थे। उस समय घर की मालकिन रोटी हुई बाहर आई और बोली, जो तुम्हे भोजन कराता था, वही मृत अवस्था में लोगों से घिरा हुआ है, जो उसके दाह संस्कार की व्यवस्था करने आए थे। महाराज उस आदमी के पास जाकर बैठ गए और अपने कंबल का एक हिस्सा उस आदमी के ऊपर डाल दिया और आसपास के लोगों से बात करने लगे। कुछ देर बाद महाराजजी उठे और कहा कि वह जाकर अपना भोजन कहीं और करेंगे। किसी ने भी उन्हें रोकने के बारे में नहीं सोचा। महाराज जी के चले जाने के बाद वह व्यक्ति नींद से उठ कर बैठा और बोला, “मैं यहाँ क्यों लेटा हूं?” हर कोई इतना चकित था कि कोई भी उत्तर नहीं दे सका।
बाबा का गुफा का चमत्कार
इलाहाबाद का एक भक्त था। वह कही जा रहा था और वह अपना रास्ता भटक गया था। अचानक उसको एक गुफा दिखाई दी, जहां उजाला हो रहा था। जब वह गुफा के पास गए, तो देखा कि वहां महाराज जी बैठे हुए थे। महाराज जी ने उन्हें भोजन कराया ,और उसके बाद कहा कि तू रास्ता भटक गया है। तुझे उस तरफ जाना है। वह महराज जी के कहने पर 15-20 कदम आगे गए। उनको जिस गांव में जाना था। वह गांव मिल गया। जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो, वहाँ न तो गुफा थी और न ही महाराज जी थे। सब बाबा की लीला थी।
बाबा के प्रति भक्तों की भावना
नैनीताल जिले में भवाली के पास भूमियाधार में बाबा का एक छोटा आश्रम है। जिसके चारों और अधिकांशतः अनुसूचित जाती के परिवार रहते है। एक बाबा अपने इस आश्रम में आए थे। एक अनुसूचित जाती का व्यक्ति एक साफ गिलास में बड़े प्रेम और श्रद्धा से बाबा के लिए गर्म दूध लाया था। किन्तु उसने जिस कपडे से दूध का बर्तन ढका था। वह बहुत ही मैला हो रखा था। उस समय स्थिति कुछ ऐसी थी कि उस कपडे को देख कर किसी की इच्छा नहीं करेगी दूध पीने के लिए। किन्तु बाबा ने बड़ी उतावली से वह गिलास लिया और कपडे की तरफ ध्यान दिए बगैर प्रेम से उस गरीब को देखते हुए पूरा दूध गटक गए। बाबा की नजर उसकी गरीबी में नहीं उसकी भावना में थी।
भक्त की पत्नी को कैसे बचाया
श्री सूरज नारायण मेहरोत्रा, डाइरेक्टर जेल इन्डस्ट्रीज उत्तर प्रदेश की पत्नी एक बार दिल की बीमारी ‘एन्जिना पैक्टोरिस’ से आक्रांत पड़ी थी। हृदय में रक्त का संचार कम होने से उन्हें भीषण कष्ट का सामना करना पड़ रहा था।डाक्टर पूरा प्रयत्न कर रहे थे पर उनकी दशा गिरती ही जा रही थी। महाराज उस समय कानपुर में थे। वहाँ वे भक्तों से श्रीमती मेहरोत्रा की दशा का वर्णन करते हुए बोले-यदि उसे कुछ हो गया, तो हमें खाना कौन खिलाएगा। बाबा ने उन सब को छोड़ वे तुरंत मेहरोत्रा जी के घर लखनऊ पहुंच गए, उस समय वे बेहोश पड़ी थीं।
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बाबा जी ने अपने पैर के अंगूठे को उनके माथे में रख दिया। लगभग रात बारह बजे श्रीमती मेहरोत्रा जी ने आँखें खोलीं। बाबा ने उन्हें प्रसाद खाने को दिया और उन में सुधार आता चला गया। इस अवसर में प्रथम बार बाबा मेहरोत्रा जी के घर नौ दिन तक रहे। जब वह पूर्ण स्वस्थ हो गई, तो बाबा उनके हाथ का भोजन पाकर चले गए।
आम का प्रसाद का चमत्कार
कुमाऊ रेजिमेंट के मेजर सुनंदा और उनके परिवार पर महाराज जी की विशेष कृपा थी। वह कैंची धाम मूर्ति के दर्शन करने आए थे। तब उन्होंने बताया कि एक बार वह कैंची धाम में बाबा के दर्शन के बाद कार द्वारा रानीखेत जा रहे थे कि रास्ते मे खैरना के पुल पर बाबा बैठे दिखाई दिए। वह गाड़ी रुकवाने लगे, वह सोचने लगे अभी तो महाराज को कैंची धाम देखकर आए थे फिर यहाँ कैसे? उन्होंने बाबा को नमन करने के बाद पूछा-की आप यहाँ कैसे। बाबाजी बोले– तू कैंची से बिना प्रसाद लिए ही चला आया था। इसलिए हमें यहाँ आना पड़ा।बाबाजी ने अपने कम्बल से आम निकाल कर उनको प्रसाद रूप मे दिए। मेजर सुनंदा एक के बाद एक आश्चर्यजनक घटनाक्रमों को होते हुए देख रहे थे। दूसरा आश्चर्य यह हुआ कि उस समय आम का मौसम नहीं था और बाबा उनसे पहले पहुंचे हुए थे।
बाबा के चमत्कार से संबंधित प्रश्न
नीम करोली बाबा कहते है कि जो अपने धन का कुछ हिस्सा गरीब लोगों में बांटता है। वह हमेश खुशहाल रहता है। ऐसा करने से आर्थिक वृद्धि तो होती ही है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
भक्तों का मानना था कि उन्होंने बाबा की अलौकिक शक्तियाँ विरासत में पाई हैं। उन्हें दयालुता के लिए जाना जाता था, और जो लोग उनके आशीर्वाद के लिए आते थे, उनके दुःख को दूर करने की उनकी क्षमता की व्यापक रूप से सराहना की जाती थी।
नीम करोली बाबा को हनुमान जी का अवतार है और उनके दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के संकट समाप्त हो जाते हैं।
नीम करौली बाबा जी ने अपने भक्तों से कहा चिंता मत करो, पास बह रही गंगा नदी से दो कनस्तर जल भरकर ले आओ। भक्तों ने ऐसा ही किया वह गंगाजल भरकर ले आए और कढ़ाई में डाल दिया। बाबा नीम करोली के चमत्कार से कढ़ाई में डाला जल देशी घी में बदल गया और उसमें गर्मा-गर्भ पूड़िया तली जाने लगी। सभी भक्त ये देखकर हैरान रह गए
नीम करोली बाबा पर हनुमान जी की असीम कृपा थी। बाबा नीम करोली के भक्त पूरी दुनिया में हैं। बाबा नीम करोली का आश्रम उत्तराखंड के कैंची धाम में है, जहां सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग पहुंचते हैं।