वृंदावन धाम: प्रेम मंदिर का इतिहास, वास्तुकला और समय सारणी

प्रेमधाम मंदिर वृंदावन
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जय श्री कृष्ण दोस्तों!
राधे राधे! दोस्तों आज आपको दर्शन के लिए लेकर आए है राधे रानी की नगरी वृंदावन धाम!
अगर आप इस ब्लॉग को पढ़ रहे है तो ये सिर्फ किशोरी जी के आशीर्वाद हो सकता है। कहा जाता है, वृन्दावन आने का मन हो रहा है तो श्री कृष्ण की कृपा है, और अगर आप वृंदावन धाम पहुँच चुके हो तो हमारी किशोरी जी बड़ी कृपा हुई है।

वृंदावन धाम

वृंदावन उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले मैं आता है। यह नगरी श्री राधा जी और श्री कृष्ण की प्रेम नगरी भी कही जाती है। वृंदावन एक चमत्कारी धाम है और यहाँ पहुँचकर आपको भिन्न भिन्न प्रकार की किस्से और कहानिया सुनने को मिलेंगी। यहाँ बहुत से मंदिर, बहुत ही प्रसिद्ध है। जिनमे से एक है “प्रेम मंदिर”

“प्रेम मंदिर”

प्रेम मंदिर की तुलना आगरा के ताजमहल से की जाती है। प्रेम मंदिर भक्ति रस में डूबा वह स्थल है जिसके एक एक पत्थर में आपको स्वामी जगद्गुरु कृपालु महाराज के कृष्ण प्रेम के भक्ति रस की सुगंध आ जाएगी और वहां श्री राधे और श्री कृष्ण की प्रेम गाथा मिल जाएगी।

श्रीकृष्ण व राधा रानी की दिव्य प्रेम लीलाओं की साक्षी वृंदावन का यह पवित्र मंदिर मथुरा में वृदांवन के चटिकारा मार्ग पर स्थित है, यह एक अद्वितीय मंदिर है, और हमारी प्राचीन भारतीय शिल्पकला के पुन: जागृत होने का संकेत देता है।

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मंदिर के निर्माण

इस मंदिर के निर्माण कार्य में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के १००० से भी ज्यादा शिल्पकारो ने ११ वर्षो का समय लगाया और और अपनी शिल्पकारी का एक नया और अद्वितीय या कहे कि विस्मर्णीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह सम्पूर्ण मन्दिर ५४ एकड़ में बना है और इसकी ऊँचाई १२५ फुट, लम्बाई १२२ फुट तथा ११५ फुट चौड़ा एक चबूतरा है। जिसपर भक्त मंदिर की परिक्रमा करते हैं। मंदिर की दीवारे 3.25 ft. मोटी हैं । मंदिर की गर्भ गृह की दीवार की मोटाई 8 ft है जिस पर एक विशाल शिखर, एक स्वर्ण कलश और एक ध्वज रखा गया है।
मंदिर की बाहरी परिसर में 84 स्तंभ है जो श्री कृष्ण की लीलाओं को प्रदर्शित करते है जिनका उल् श्रीमद भगवद में किया गया है।

मन्दिर की वास्तुकला

इस भव्य प्रेम मन्दिर के निर्माण कार्य मंदिर में सफेद इटालियन करारा संगमरमर का प्रयोग हुआ है जिसे इटली से मगाया गया और इस मंदिर निर्माण कार्य में १०० करोड़ कि धनराशि लगने का अनुमान बताया जाता है। या मन्दिर वास्तुकला के माध्यम से दिव्य प्रेम को साकार करता है।

इसमें राधा-कृष्ण की मनोहर झाँकियाँ, श्री गोवर्धन लीला, फव्वारे, कालिया नाग दमन लीला, झूलन लीला की झाँकियाँ उद्यानों के बीच सजायी गयी है।
मन्दिर के द्वार सभी वर्ण और जाति, देश के लोगो के लिये दिशाओं में खुलते हैं। मुख्य प्रवेश द्वारों को आठ मयूरों के नक्काशीदार तोरण द्वारा सजाया गया हैं तथा मन्दिर की बाहरी दीवारों को राधा-कृष्ण की लीलाओं से शिल्पांकित किया गया है। इसी प्रकार मन्दिर की भीतरी दीवारों पर राधाकृष्ण और कृपालुजी महाराज की विविध झाँकियों का भी अंकन हुआ है।

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इस मन्दिर में कुल 94 स्तम्भ हैं जो राधा-कृष्ण की विभिन्न लीलाओं से सजाये गये हैं। इसी में अधिकांश स्तम्भों की पृष्ठभूमि में गोपियों की चित्र लगाये गये हैं, जो सजीव दिखायी देती हैं। मन्दिर के गर्भगृह के बाहर और अन्दर प्राचीन भारतीय वास्तुशिल्प की उत्कृष्ट पच्चीकारी और नक्काशी की गई है तथा संगमरमर की शिलाओं पर राधा गोविन्द गीत सरल भाषा में लिखे गए हैं। मंदिर परिसर में गोवर्धन पर्वत की सजीव झांकी बनायी गई है।

प्रेम मंदिर का इतिहास

प्रेम मंदिर का शिलान्यास 14 जनवरी, 2001 को श्री कृपालु जी महाराज ने अपने लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में किया था और पुरे ११ वर्षो के बाद यह साकार होकर विश्व में प्रेम कि धरोहर बनकर प्रस्तुत हुआ । जगद्गुरू कृपालू महाराज द्वारा वृंदावन में बनवाए गए भगवान कृष्ण और राधा के भव्य प्रेम मंदिर का लोकार्पण 17 फरवरी २०१२ को हुआ।
इसके लिए पहले 15 फरवरी २०१२ को सुबह सात बजे कलश यात्रा निकाली गयी और दूसरे दिन 16 फरवरी २०१२ को शोभा यात्रा व 17 फरवरी 2012 को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा, द्वीप प्रज्ज्वलन और देवी दर्शन का कार्यक्रम हुआ।

मंदिर की समय सारणी(prem mandir vrindavan timings):-

5:15 a.m. – जागरण पद
5:30 a.m. – दर्शन और राधा कृष्ण आरती, श्री राम स्तुति
6:30 a.m. – आरती और गीत गवाईयाँ
8:30 a.m. – दर्शन और आरती
11:45 a.m.- आरती
12:00 p.m – पट बंद
4:30 p.m. – दर्शन और आरती
5:30 p.m. – भोग चढ़ाना और गीत गाना
7:00 p.m. – Lighted म्यूजिकल फाउंटेन का प्रदर्शन
8:00 p.m. – आरती
8:15 p.m. – शयन पद
8:30 p.m. – बंद

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