भारत में अलग-अलग धर्म और सभ्यताओं के लोग रहते है। यहाँ पर सब अपनी-अपनी सांस्कृतिक के लोग आपसे में प्यार करते है। इसमें समृद्धि के इतिहास और ढेर सारे मंदिर और तीर्थस्थल हैं जो हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इसमें से एक महेंदी पुर बालाजी एक अनोखे और रहस्यमय स्थान के रूप में सामने आता है, जो अलौकिक शक्तियों से युक्त है, वहीं आशीर्वाद और सांत्वना पाने के लिए हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित करता है। यह बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। इस लेख में मंदिर के इतिहास, रहस्य और इसके नियम के बारे में जानेंगे।
मंदिर का इतिहास
यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। एक बार मंदिर के पुराने महंत ने सपना देखा था, जिसमें उन्हें मंदिर में तीनों देवताओं के दर्शन हुए। यह बालाजी मंदिर के निर्माण का पहला संकेत था। उनके सपने में जंगली जानवर, जंगली पेड़ों से भरे गृह पर भगवान प्रकृत हुए और फिर तीनों देवताओं ने महंत को आदेश दिए कि सेवा करके कर्तव्यों का पालन करें। इसके बाद महंत जी ने मंदिर में तीनों देवताओं बालाजी, प्रेतराज और भैरों महाराज की स्थापना की।
बालाजी मंदिर की क्या खासियत है
महेंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। इस मंदिर में हनुमानजी के अलावा कई अन्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। बालाजी हनुमान जी का दूसरा नाम है। इस मंदिर में बालाजी मूर्ति के बाई छाती की और एक छोटा-सा छेद है, जिसमें से लगातार पानी की एक पतली धारा बहती रहती है। इसी धारा से निकले पानी को टैंक में जमा करके भगवान बालाजी के चरणों में रखा जाता है। जिसके बाद इसे प्रसाद के रूप में विस्तृत किया जाता है। इस मंदिर के दर्शन लिए लोग देश के हर कोने से आते है। यहाँ पर ऊपरी चक्कर और भूत-प्रेत आत्माओं से मुक्ति पाने के लिए अर्जी लगाई जाती है। इस मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा की मूर्ति भी विराजित है। यहाँ पर नकारात्मक साया के लिए यहाँ अर्जी लगाई जाती है। यहाँ पर भूत-प्रेत के साया को भगाने के लिए कीर्तन किया जाता है।
कैसे लगाई जाती है बाला जी की अर्जी

बालाजी मंदिर पहुंचने के बाद, वहां आपको दुकानदार एक थाली देता है। जिसमें आपको अर्जी का एक डोना भी मिलता है। इसके साथ ही आपको कटोरी में घी भी दिया जाता है। अर्जी लगाने के लिए इस थाली को सर पर रखें, इसके अपना नाम और अपने पति का नाम लें। अगर आप शादी शुदा महिला है, तो अपने पति का पूरा नाम लें। अपने मन में तीन समस्याओं के बारे में सोचे। मंदिर पहुंचने के बाद इस थाली को महंत जी के हाथों में दे और फिर महराज जी की थाली में रखे लड्डू और घी को हवन कुंड में डाल दें। पूरी प्रक्रिया होने तक अपने मन में उन तीन समस्याओं को दोहराना है। इसके बाद आपको अपनी दरख्वास्त करनी है और फिर दुकानदार के पास चले आए। इस दौरान आपकी थाली में जो लड्डू होते है। वह आपको लड्डू सहित दुकानदार को दे देना।
दूसरे चरण की अर्जी लगाने के लिए चावल की थाली दी जाती है। जिसे लेकर प्रेतराज के दरबार में जाना है। यहाँ जाते हुए भी आपको वही प्रक्रिया दोहरानी है, जो अपने बालाजी के मंदिर में दोहराई। उसके बाद मंदिर से बाहर आने के बाद एक जगह रुके और थाली में बची सामग्री को सात बार उतारे और पीछे गिराएं। इसमें पीछे मुड़कर नहीं देखना होता है। इस प्रक्रिया के बाद सीधे दुकानदार के पास जाए। दोनों थाली को दुकानदार को दे देना। इसके दुकानदार आपको लड्डू देगा। यह लड्डू आपको वही खाना है। इस लड्डू को दूसरा कोई न खाएं।
इसके बाद आपको तीसरी अर्जी लगानी है। जिसके लिए दुकानदार आपको तीसरा दोना देगा। इस दोने को लेकर आपको लेन में खड़ा होना है। जिस लाइन में आप पहली बार खड़े थे। आपको मन ही मन में अपना नाम और अपने पति का नाम लेना है। साथ ही यह भी बोलना है कि “बालाजी मैंने आज आपकी अर्जी लगाई है, जिसे मंजूर करना”। इसे आप मन ही मन दोरहाएं आपकी अर्जी लग जाएगी।
बालाजी मंदिर नियम और प्रतिबंध
- बालाजी मंदिर में पानी की एक बूँद पिए और न ही कुछ खाएं।
- जब आप दर्शन करके मंदिर से बाहर निकलते है, तो पीछे मुड़कर ना देखे। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बुराई आपके घर तक आपका पीछा कर सकती है और आप पर हावी भी हो सकती है।
- मंदिर में किसी पुजारी को कुछ न चढ़ाएं। यदि दुकानदार आपको काले रंग की गेंद देता है, तो आप उसे ले सकते है। क्योकि ऐसा करना अशुभ माना जाता है। यह आपको खाने की अनुमति नहीं है। इसके बजाय आपको इसे आग में फेंकना होगा।
- एक बार जब आप मंदिर में प्रवेश करते है, तो आपको अलग-अलग भूत-प्रेत वाले पुरुषों और महिलाओं से आने वाली तेज और डरावनी चीखें सुनाई देंगी। लेकिन आपको उनसे बात करना, मजाक उड़ाने, उनकी वीडियो बनाना या उनकी फोटो लेने की अनुमति नहीं है। मंदिर में कोई हरकत वर्जित है।
- मेहंदीपुर बालाजी मंदिर या गांव से कुछ भी न लाएं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि आप जो कुछ भी लाते हैं वह आपके साथ बुराई ला सकता है।
- मंदिर में कोई भी मूल्यांकन वस्तु न ले जाए, क्योंकि यहाँ वस्तुओं की चोरी होने की संभावना अधिक होती है।
- यदि आप मंदिर का कोई प्रसाद लेते है, तो उसे वही खत्म कर दें। कोई भी प्रसाद घर लेकर न आए और न ही गांव से पानी की बोतल ले जाने की इजाजत है।
- अगर आप मंदिर जाते है, तो प्याज, लहसुन या मांसाहारी भोजन खाने से बचें।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कैसे पहुंचे
बालाजी मंदिर आप ट्रेन, बस, हवाई जहाज इत्यादि से जा सकते हैं। लेकिन आपके लिए बेहतर यही है कि आप रेल से महेंदीपुर बालाजी की यात्रा करें। अगर आपके शहर से बांदीकुई रेलवे स्टेशन का टिकट मिलता है, तो आप इस रेल की टिकट यहाँ पहुंच जाएँ। बांदीकुई से रेलवे स्टेशन से मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का रास्ता सिर्फ 36 किलोमीटर है। ऐसे में आप बांदीकुई रेलवे पहुंचकर सीधे कोई लोकल सवारी लेकर मंदिर पहुंच सकते हैं।
बालाजी मंदिर जाने से पहले क्या करें
- बालाजी के दर्शन से पहले आप जिस तारीख में जा रहे हो उससे 10 दिन पहले प्याज, लहसुन जैसी चीजे खाना बंद कर दें।
- 10 दिन से पहले रोज अच्छे से नहाकर हनुमान चालीसा पढ़े।
- दर्शन के लिए निकलने से पहले एक डेढ़ मीटर के लाल कपड़े में 1 सूखा नारियल, लौंग, लाल मिर्च, अक्षत यानी खड़ा चावल, घर के चारों कोनों की धूल और 21 रुपये डालकर 3 गांठ लगाकर बांध लें।
- आपके साथ दर्शन के लिए परिवार का जो सदस्य जा रहा है। उसके सिर के चारों तरफ लाल कपडे को 21 बार घुमा दें और फिर एक खूटी पर टांग दें।
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- अगले दिन मंदिर के लिए निकले, तो वह लाल कपड़े को परिवार के सदस्यों के चारों और घुमाएं। उसके बाद घर से बाहर निकल जाएं।
- घर से एक बार निकल जाएँ, तो दोबारा मुड़कर वापिस मत देखे और न ही किसी चीज के लिए वापिस लौटे।
- अपने लिए दो सेट कपड़े जरूर बांध लें। साथ ही रास्ते के लिए बिना प्याज और लहसुन का खाना बांध लें।
बालाजी मंदिर का समय
यह मंदिर गर्मियों के दिनों में सुबह 05:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है। लेकिन सर्दी में यह शाम 7:30 बजे तक खुला रहता है। सामान्य दर्शन का समय सुबह के सत्र में 7:30 से 11:30 बजे तक और शाम के सत्र में 12:00 से 8:30 बजे तक है।
मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर के बारे में पूछे गए प्रश्न
राजस्थान में दो बालाजी मंदिर हैं, जिसमें पहला मंदिर दौसा जिले में स्थित है, जिसका नाम मेहंदीपुर बालाजी है। वहीं, दूसरा बालाजी मंदिर सालासर में स्थिति है।
यह मंदिर हिंदू देवता हनुमान को समर्पित है जहां उनके बचपन के रूप में प्रार्थना की जाती है। यह भारत का एकमात्र मंदिर है जो काले जादू या बुरी आत्मा के प्रभाव में आए लोगों को ठीक करने के लिए जाना जाता है।
बालाजी नाम का तात्पर्य भारत के कई हिस्सों में श्री हनुमान से है क्योंकि वहां भगवान के बचपन (हिंदी में बाला) रूप को विशेष रूप से मनाया जाता है। यह मंदिर बालाजी (श्री हनुमान जी का दूसरा नाम) को समर्पित है। समान धार्मिक स्थलों के विपरीत यह ग्रामीण इलाके के बजाय एक कस्बे में स्थित है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह भारत का एकमात्र मंदिर है जो काले जादू या बुरी आत्मा के प्रभाव में आए लोगों का उपचार करने के लिए जाना जाता है।